नारी शक्ती की सुरक्षा करणे में केंद्र सरकार उदास क्युव?

दिक्षा ललिता देवानंद कऱ्हाडे

    समाचार संपादक

नई दिल्ली: कोस्ट गार्ड यानी तटरक्षक बल में महिलाओं के लिए परमानेंट कमीशन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की मंशा पर सोमवार को सवाल उठाया. कोस्ट गार्ड में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन पर ‘पितृसत्तात्मक’ दृष्टिकोण अपनाने के लिए केंद्र की खिंचाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि जब सेना और नौसेना ने पहले ही नीति लागू कर दी है तो कोस्ट गार्ड अलग क्यों होना चाहिए. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आखिर कोस्ट गार्ड को लेकर केंद्र का रवैया इतना उदासीन क्यों है. जब महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं तो फिर महिलाएं तटों की भी रक्षा कर सकती हैं.

           सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘कोस्ट गार्ड को लेकर आपका इतना उदासीन रवैया क्यों है. आप कोस्ट गार्ड में महिलाओं को क्यों नहीं चाहते. अगर महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं तो वे तटों की भी रक्षा कर सकती हैं. आप नारी शक्ति की बात करते हैं तो अब इसे यहां करके भी दिखाएं. मुझे नहीं लगता कि कोस्ट गार्ड यह कह सकते हैं कि जब सेना, नौसेना ने यह सब कर लिया है तो वे सीमा से बाहर हो सकते हैं.’

              चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा, ‘आप सभी ने अभी तक हमारा बबिता पूनिया जजमेंट नहीं पढ़ा है. आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हैं कि आप महिलाओं को कोस्ट गार्ड क्षेत्र में नहीं देखना चाहते हैं. आपके पास नौसेना में महिलाएं हैं तो कोस्ट गार्ड में ऐसा क्या खास है. हम पूरा कैनवास खोल देंगे. वह समय गया जब हम कहते थे कि महिलाएं कोस्ट गार्ड में नहीं हो सकतीं. महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं तो महिलाएं तटों की भी रक्षा कर सकती हैं.’ सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

           दरअसल, सेना में महिला अधिकारियों के कमीशन ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति की कानूनी लड़ाई में कोस्ट गार्ड यानी तट रक्षक अधिकारी भी कूदी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता प्रियंका त्यागी कोस्ट गार्ड के उस पहले ऑल विमेन क्रू की सदस्य हैं, जो तटरक्षक बेड़े पर डोमियर विमानों की देखरेख ही लिए तैनात किया गया था. ये याचिका AOR सिद्धांत शर्मा द्वारा दाखिल की गई है. इस मामले में वरिष्ठ वकील अर्चना पाठक दवे ने बहस की.

              बता दें कि यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दाखिल की गई है, जिसमें याचिकाकर्ता को राहत नहीं दी गई थी. याचिकाकर्ता ने अपनी रिट में दस वर्षों की शॉर्ट सर्विस नियुक्ति को आधार बनाते हुए बबिता पूनिया और एनी नागराज और अन्य बनाम भारत सरकार रक्षा मंत्रालय मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है. सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि उनको भी परमानेंट कमीशन रैंक की नियुक्ति दी जाए. सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले को आधार बनाते हुए त्यागी ने समानता के बुनियादी अधिकार को दुहाई दी है. सेना की तरह ही कोस्ट गार्ड में भी योग्य महिला अधिकारियों को तरक्की देकर कमीशन अधिकारी बनने का अवसर दिया जाए.