मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव मजबूती से लड़ेगी बसपा…  –अब तक 78 उम्मीदवारों की सूची घोषित..  – और साजिश…

 प्रदीप रामटेके

   मुख्य संपादक

            मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए बहुजन समाज पार्टी जोरदार तैयारी के साथ मैदान में उतरी है और अब तक 78 उम्मीदवारों की सूची का ऐलान बसपा सुप्रीमो बहन मायावती ने कर दिया है.

                 मध्य प्रदेश में विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 230 सीटें हैं और राज्य के कई हिस्सों में बसपा का आधार मजबूत और प्रभावी है। भाजपा और कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में बसपा के आधार को कम करने की बहुत कोशिश की है। हालांकि वे बसपा का आधार कम करने में सफल नहीं हुए हैं…

           सामाजिक क्रांति के प्रणेता महात्मा ज्योतिबा फुले,आरक्षण के जनक छत्रपति राजश्री शाहू महाराज,युगपुरुष डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर एवं अन्य बहुजन संतों की सोच पर चलकर बसपा ने सामाजिक,राजनीतिक क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करके रखि है,अपनी विचारधारा के अनुसार सामाजिक,राजनीतिक,सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्र में सफल होणे वालि “यह एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है,”भारत देश में…

               इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि महात्मा ज्योतिबा फुले,राजश्री छत्रपति शाहू महाराज,डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर के विचारों को अद्वितीय महत्व बसपा ने दिया और सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में बदलाव कर देश के नागरिकों के लिए रास्ता खोला। बहुजन समाज को सामाजिक स्तर पर सम्मान के साथ जीने और राजनीतिक क्षेत्र में डटकर देणे के लिये और संघर्ष करने के लिए मजबूत बनाया है।

          इसी के चलते इस देश में बीएसपी को कमजोर और अप्रभावी बनाने और राष्ट्रीय पार्टी के रूप में बीएसपी का दर्जा कम करने के लिए कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों को काम पर लगाया गया है.

            हालाँकि,मध्य प्रदेश के मतदाताओं ने पहले ही मन बना लिया है कि बसपा की राष्ट्रीय स्थिति कम न हो और उन्होंने बसपा के साथ रहने का फैसला किया है।

           बसपा को कमजोर और अप्रभावी बनाने के लिए राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर काफी प्रयास किये गये और अब भी हो रहे हैं,लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अब तक सभी विरोधी बसपा को कमजोर और अप्रभावी नहीं बना पाये हैं, क्योंकि बसपा में आस्था रखने वाला वर्ग उसके वैचारिक सिद्धांतों के अनुरूप एकजुट एवं जागरूक है।

            यदि बसपा की राष्ट्रीय प्रतिष्ठा घटेगी तो बहुजन समाज के नागरिकों को गुमराह कर विघटित किया जा सकता है,उन्हें शक्तिहीन बनाया जा सकता है तथा मनुवादी एवं ब्राह्मणवादी विचार से उन्हें प्रभावित कर सकते हैं।

                  जब अन्य नई पार्टियों के पास जनशक्ति नहीं है तो उनकी सभाओं में संभावित भीड़ को देखते हुए यह संदेह होता है कि मनुवादी संगठनों के लोग उनकी सभाओं में भीड़ जुटाने के लिए अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को भेजते होंगे?…

                सामूहिक बैठकों के माध्यम से नए पार्टी प्रमुखों को आगे लाना,उन्हें बहुजन समाज में अपना प्रभाव बनाने के लिए हर संभव मदद करना और बहुजन समाज पार्टी के आधार को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करना,साज़िश का हिस्सा हो सकता है,यह नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।